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10th Hindi Abhinav Manushya Notes

दसवीं कक्षा अभिनव मनुष्य कविता का प्रश्न उत्तर Pdf, 10th Hindi Abhinav Manushya Notes Quesstion Answer Pdf 10th Class hindi Chapter 4 Notes Kseeb Solution For Class 10 Hindi Chapter 4 Notes 10th Class Hindi 4th Lesson Notes 2024

कवि परिचय

कवि का नाम कवि श्री रामधारीसिंह दिनकर।

सन् 1904 में बिहार प्रदेश के मुंगेर में. डेथ सन 1974 में

पुरस्कार : सन् 1972 में ऊर्वशी काव्य कृति के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार मिल

रचनाएँ : कुरुक्षेत्र, ऊर्वशी, रश्मिरथि, रेणुका, रसवंति आदी । प्रमुख

abhinav manushya hindi poem question answer

एक वाक्य में उत्तर लिखिए:

1. आज की दुनियाँ कैसी है ?

उत्तर: आज की दुनियाँ विचित्र और नवीन है।

2. मानव के हुक्म पर क्या चढता और उतरता है ?

उत्तर: वारि, विद्युत, भाप, पवन का ताप आदी मानव के हुक्म पर चढ़ता और उतरता है।

3. परमाणु किसे देखकर काँपते है ?

उत्तर: परमाणु मानव के करों को देखकर काँपते है।

4. अभिनव मनुष्य कविता के कवि का नाम क्या है ?

उत्तर : अभिनव मनुष्य कविता के कवि का नाम रामधारीसिंह दिनकर है।

5. आधुनिक पुरुष ने किस पर विजय पायी है ?

उत्तर आधुनिक पुरुष ने प्रकृती पर विजय पायी है।

6. नर किन- किनको एक समान लाँघ सकता है ?

उत्तर : नर सरित् गिरि, सिंधु को एक समान लाँघ सकता है।

7. आज मनुष्य का यान कहाँ जा रहा है ?

उत्तर: आज मनुष्य का यान गगन की ओर जा रहा है।

दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए:

1. प्रकृति पर सर्वत्र है विजयी पुरुष आसीन इस पंक्ति का आशय समझाइए ?

उत्तर: आज के मानव ने प्रकृती के हर तत्व पर विजय प्राप्त कर ली है।

और वह उस पर सवार है।

यह प्रकृति पर सर्वत्र है विजयी पुरुष आसीन इस पंक्ति का आशय है।

2. दिनकरजी के अनुसार मानव का सही परिचय क्या है ?

उत्तर : दिनकर जी के अनुसार मानव मानव के बीच प्रेम रिश्ता जोडकर आपसी दूरी को मिटाएँ वही मानव कहलाने का अधिकारि है।

यही मानव का सही परिचय है ।

3. इस कविता का दूसरा कौन सा शीर्षक हो सकता है ? क्यों ?

उत्तर : इस कविता का दूसर शीर्षक आधुनिक पुरुष हो सकता है क्योंकि आधुनिक पुरुष प्रकृती को नियंत्रण में रखना चाहता है।

प्राचीन मानव की तरह प्रेम, रिश्ता, बंधुत्व, भाईचार की भावना उनमें नहीं है।

भावार्थ लिखिए:

Abhinav Manushya Poem Summary in Hindi

यह मनुज जो, सृष्टि का श्रृंगार ज्ञान का विज्ञान का आलोक का आगार ।

व्योम से पाताल तक सब कुछ इसे है ज्ञेय पर, न यह परिचय मनुज का यह न उसका श्रेय ।

उत्तर : इस कविता को रामधारिसिंह दिनकर जी के कुरुक्षेत्र के षष्टम् सर्ग के अभिनव मनुष्य नामक कविता से लिया गया है। भावार्थ: मनुष्य ने अपने ज्ञान से प्रकृती को श्रृंगार किया है। आकाश से पाताल तक विजय प्राप्त किया है, यह उनकी साधना है। लेकिन मानव में मानवीयता का गुण नहीं है। उपर्युक्त कविता में मानव के अहंकार की भावनाओं को देख सकते है।

   
   
       

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